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नये जमाने की बहू लेखनी प्रतियोगिता -13-Dec-2023


              नये जमाने की बहू

              विकेश की एक मल्टी नेशनल कंपनी में नई नई नौकरी लगी थी। अब उसके  घर वाले चाहते थे कि एक अच्छी सी लडक़ी देख के उसकी शादी कर दी जाए। विकेश के घर परिवार में उसकी माँ , बड़ा भाई  भाभी  बहन एक बुआ शान्ति और दादी रहते है।  विकेश के पिता जी की मृत्यु उसके बचपन  में ही हो गई थी। उस समय  विकेश पांच वर्ष  का रहा होगा।  विकेश की नौकरी लगने के बाद बहुत रिश्ते आने शुरू हो गए थे।  उसका लालन पालन उसको भाई  व भाभी ने ही किया था।

            परन्तु  विकेश का दिल तो किसी और लड़की पर आ चुका था इसीलिए वो हर रिश्ते में कोई न कोई बुराई निकाल कर मना कर देता था। विकेश के घर वाले उससे परेशान  होगये थे।

            एक दिन तंग आकर  उसकी भाभी ने आखिर पूछ ही लिया, "भैया  विकेश  यदि आपको   कोई और पसंद  है तो बता  क्यौ नहीं देते?  आप  हमें ओर लडक़ी वालो को क्यौ परेशान कर  रहे हो?"

         विकेश की समझ में आगया कि अब  सही वक्त आ गया है घर वालो को शेफाली  के बारे में बता देना चाहिए।

      शेफाली व विकेश कालेज में साथ पढ़ते थे। कालेज के समय में ही दोंनों ने  शादी करने का फैसला तो कर लिया था। परन्तू शेफाली का अमीर होना  इस रिश्ते में दीवार   बन रहा था।

            शेफाली  अपने बाप की सबसे प्यारी लड़की थी। शेफाली का एक छोटा भाई  भी था।
शेफाली के पापा  सरकारी बैंक में उच्च पद पर थे, शेफाली की माँ का साया बचपन में ही उसके  सर से छिन गया था।

       विकेश जितना  शांत स्वभाव का था  वही शेफाली  बहुत की चंचल स्वभाव की थी। 

आज विकेश  ने  मौका आया  देखकर अपने घर मे शेफाली  के बारे में बता दिया। शेफाली से तो किसी को परेशानी नही थी पर उन्हें यह डर था कि इतने अमीर बाप की बेटी कैसे इस परिवार की जिम्मेदारिया संभालेगी।

       बहुत मुश्किल  से दोनों  की मर्ज़ी से शादी भी तय हो गई। शेफाली  और विकेश दोनो बहुत खुश थे आज वो शादी के बंधन में बंधने जा रहे थे।

       शादी के बाद शेफाली ससुराल में आई। सब ने खुशी-खुशी उसका स्वागत किया। सारी रस्मे पूरी होनी थी। लेकिन शेफाली  की नज़र विकेश की माँ को ही खोज रही थी,क्यौकि उसका बचपन बिन माँ की  हे ब्यतीत  हुआ था  इसलिए वह  सासू माँ का प्यार  पाना चाहती थी।बेटी विकेश की माँ में अपनी माँ को तलाशना चाह रही थी। परन्तु सासू माँ का कही अता-पता नही था।  शेफाली ने ये सोच के तसल्ली दी खुद को कि हो सकता है माँ घर के कामों में व्यस्त होगी।

           शेफाली व विकेश  सबसे बड़ी  पूजा में बैठने को तैयार   होकर पूजा स्थल  पर आगये, परन्तु शेफाली को जब  सासू माँ नजर नहीं आई ।

          तब उसने विकेश  से ही पूछा "मम्मी जी दिखाई नही दे रही वह  कहाँ है ? "

      परन्तु विकेश के बोलने से पहले ही  उसकी बुआ जी बोल पड़ी ," बहू तुम्हारी सासू माँ अपने कमरे में है, ऐसे शुभ काम मे विधवाओं को शामिल नही किया जाता है?"

         इतना सुनते ही शेफाली को बहुत गुस्सा आया और वह तुरंत अपनी सास के कमरे में जा कर उनका हाथ पकड़ कर पूजा वाले स्थान पर ले आई।

         सासू माँ  ने शेफाली को बहुत मना किया लेकिन वो बिल्कुल नही मानी।

        बुआ जी शेफाली  की इस हरकत पर बहुत गुस्सा होने लगी और बौली'  "हे भगवान! इस लड़की ने  आने के साथ अपनी मनमानी शुरू कर दी, अरे कोई शर्म हया है या नही ये कोई ना कोई अनहोनी करवा के ही रहेगी । बड़ो की बातों में और रीति-रिवाजों में दखल देना क्या यही सिखाया गया है ?"

       इतने में शेफाली की जेठानी भी बोल पड़ी, "देख लो नए जमाने की अमीर खानदान की मोडरन बहु ले कर आये है अब इस घर के तौर-तरीके बदलने वाले है, इसके पिता बड़े  आदमी है तो क्या अब ये हमे भी इशारों पर नचायेगी ?"

      सब की बातें सुन कर शेफाली ने सब से कहा ," आप सब, ऐसे अंधविश्वास को घर की रीत का नाम दे रहे हो। एक माँ के जीवन की सबसे बड़ी खुशी होती है जब उसके बेटे या बेटी की शादी होती है, आज आप माँ को उस खुशी से ही दूर कर दे रहे हो। अरे कितनी मन्नते मांगी होंगी माँ ने अपने बेटे की खुशी के लिए तो उनके कारण घर मे अनहोनी कैसे हो सकती है। पति की मौत के बाद के जाने के बाद वैसे ही माँ अंदर ही अंदर कितना घुट रही होगी और आप लोग उन्हें खुश रखने की बजाय उनकी खुशियां छीन रहे हो। मेरी माँ की मृत्यु बचपन मे ही हो गई थी फिर भी मेरे पापा हर पूजा-पाठ में शामिल होते थे उनके लिए तो ऐसा कोई नियम नही था। क्या ये नियम सिर्फ औरत के लिए ही बना है। और हाँ मैं अपने पिता  के बल पर नही बोल रही हूँ ऐसा, मेरे पिता ने मुझे बहुत अच्छे संस्कार दिए है। मैं इन सब अंधविश्वास पर विश्वास नही रखती। अगर आप मूझे  नए जमाने की बहू कहते है तो मैं  नए जमाने की हूँ।"
         फिर उसने अपनी सास से कहा -"बचपन मे माँ के चले जाने के कारण मुझे हमेशा से ही एक माँ की जरूरत थी, मुझे लगा कि आप के रूप में मुझे माँ मिलेगी, मैंने अपनी माँ को तो नही देखा लेकिन आप ही मेरे लिए असली माँ हो आप मेरे हर सुख-दुख में मेरे साथ रहोगी। आप की दुआ और प्यार हमे हर अनहोनी से बचा लेगा।" शेफाली ने अपनी सास के पैर छुए सास ने भी अपनी बहु को गले से लगा लिया।  शेफाली की बातों ने सब के आंखों में लगी अंधविश्वास की पट्टी को हटा दिया था। फिर से पूजा शुरू हुई माँ के साथ। शेफाली और विकेश का ध्यान  पूजा पर था परन्तु विकेश की मम्मी अपनी आँखों मे आंसू और दिल मे सुकून लिए अपनी नए जमाने की बहू को देख रही थी। आज उनको अपनी मोंडरन बहू  पर गर्व महसूस  होरहा था।

          आज उनको अपने बेटे बहू के इश्क  का चक्कर  भी बहुत खुशी दे रहा था।उन्हौने अपने पति के स्वर्ग सिधारने के बाद आज तक  का समय अन्धेरी कोठरी में बिताया था  आज उनके भाग्य  का सूरज चमकने लगा था।

आज की दैनिक  प्रतियोगिता हेतु
नरेश  शर्मा " पचौरी "

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5 Comments

Mohammed urooj khan

16-Dec-2023 12:52 PM

शानदार कहानी 👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

14-Dec-2023 10:54 PM

👌👏

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Milind salve

14-Dec-2023 07:06 PM

Nice

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